अपने कर्मो का फल इसी जन्म में भुगतना पड़ेगा – Real Story in Hindi

Real Story in Hindi 

Submitted by Rohan Bhardwaj

मेरा नाम रोहित शुक्ला है. मेरे पिता और मेरी माँ की अरेंज्ड मैरिज हुई थी. शादी के कुछ सालो तक तो सब ठीक था लेकिन शादी के 5 साल के बाद मेरी माँ को पता चला कि मेरे पिता का किसी और लड़की के साथ अफेयर है. जब मेरी माँ को इस बात का पता चल तो मेरे माँ और पिता के बीच लड़ाईयां होने लगी. जल्द ही मेरे पिता ने मेरी माँ को छोड़ दिया और अपनी गर्लफ्रेंड के साथ शादी कर ली.

real story in Hindi

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इस का मेरी माँ पर इतना गहरा सदमा लगा कि वे हर वक़्त उदास रहने लगी. वे अपने आप को बंद अँधेरे कमरे में बंद लेती थी और घंटो रोती थी. उस दिन के बाद मुझे मेरे पिता से नफरत हो गयी थी क्यूंकि मेरे पिता ने अपने स्वार्थ के लिए मुझे और मेरी माँ को धोखा दिया. मेरे पिता का अच्छा ख़ासा बिज़नेस था और इसलिए वो और उनकी दूसरी पत्नी अमरीका में जा कर बस गए. मेरे दादा दादी यही दिल्ली में रहते थे और वो भी अपने बेटे से नाराज़ थे लेकिन वो उससे बात ज़रूर करते थे क्यूंकि मेरे पिता उन्हें हर महीने पैसे भेजते रहते थे.

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समय बीतता गया और मेरी माँ की हालत बद से बदतर हो गयी. उनका बहुत इलाज करवाया गया लेकिन वो डिप्रेशन में रहती थी. वो अपना रिश्ता टूटने के गम से बाहर ही नहीं निकल सकी. मैं अब 20 साल का हो चूका हूं और दोस्तों इतने सालो से मैं अपनी माँ के साथ ही रह रहा हूँ. यूँ कहे कि इतने साल माँ ने नहीं बल्कि मैंने माँ का ख्याल रखा और इसका ज़िम्मेदार सिर्फ मेरे पिता है. मेरी माँ डिप्रेशन में सिर्फ मेरे पिता की वजह से गयी और इस बीमारी से वे कभी उभर ही नहीं पाई. आज भी उनका इलाज चल रहा है. ना तो मुझे माँ का अच्छे से प्यार मिला और ना ही मैं अपनी पढाई पर ढंग से फोकस कर पाया.

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खैर… कुछ दिन पहले मुझे दादा जी का फ़ोन आया और उन्होंने बताया कि मेरे पिता की हालत बहुत खराब है. उन्हें कैंसर हो गया है और मेरे दादा जी अगले हफ्ते उनसे मिलने अमरीका जा रहे है. दादा जी चाहते थे कि मैं भी उनके साथ चलु क्यूंकि वे ज़्यादा पढ़े लिखे नहीं है और उन्हें दूसरे मुल्क जाने से डर लग रहा था. मैं जाना तो नहीं चाहता था लेकिन दादा जी की खातिर सोचा कि उनके साथ चल पडू.

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जब हम अमरीका पहुंचे तो एक कैंसर हॉस्पिटल में मेरे पिता का इलाज हो रहा था और वे वह दाखिल थे. उनकी हालत काफी खराब लग रही थी. वहां जाकर हमें पता चला कि मेरे पिता की दूसरी पत्नी उनकी बीमारी जानने के बाद उन्हें छोड़ कर किसी दूसरे शहर चली गयी और उसने धोखे से मेरे पिता की सारी संपत्ति अपने नाम करवा ली. मेरे पिता का बिज़नेस भी डूब चूका था और बीमारी पर खर्चा भी बहुत हो रहा था. मेरे पिता ने मुझे अपने पास बुलाकर मुझसे अपने किये की माफ़ी भी मांगी। उनकी ये हालत देख कर मैं समझ गया था कि ये मेरी माँ की बददुआ ही है जो इनकी ऐसी हालत है और मैं मन में सोच रहा था कि वाकई में इंसान को अपने कर्मो का फल इसी जन्म में भुगतना पड़ता है.

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आज एक साल के बाद भी मेरे पिता की हालत काफी ख़राब है और सभी डॉक्टर्स ने जवाब दे दिया है कि कुछ महीने में ये नहीं रहेंगे. मैं ना तो खुश हू और ना ही दुखी हू, बस ये सोचता हू कि काश मेरे पिता ने मेरी माँ को धोखा ना दिया होता तो आज हमारा परिवार कितना खुश होता.    

Friends ye thi ek emotional rea story in Hindi. Is story ka moral yahi hai ki insaan ke karm hi uski destiny decide karta hai. If you like this story, Please Share and Comment. (aur apke pas bhi koi kahaani ho aur use publish karna chahte hain to hame bheje)

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